चुप्पी ही क्यों

चुप्पी ही क्यों
और केवल एक घंटा
इससे ज्यादा कभी नहीं

इसमें भी राज है
बतादूँ के नहीं
बहुत ही छोटा सा राज है
बस हिमालय पर्वत से थोड़ा सा ऊंचा है लेकिन

एक तो एकांत में बैठना आवश्यक है
किसी के साथ बैठेंगे तो कोई ना कोई तो बोलेगा
मानो या ना मानो
दूसरा प्रकृति के आसपास विराजमान होना है

और तीसरा चुप्पी में ही शांति, धीरज, प्रेम, आराम, और दया का सबसे गहरा सागर है डुबकी लगाने के लिए
जो और कहीं नहीं

दुनिया की सबसे महंगी गाड़ी में नहीं
किसी आलीशान महल में नहीं
किसी राजगद्दी में नहीं
किसी सोने चांदी हीरे जवाहरात की थाली में नहीं
तो चूहों की दौड़ से कभी कभार बाहर निकलने का साधन है ये
बाकी आपकी मर्जी
मानो या ना मानो।