गुस्सा जब आता है तो ऐसा लगता है

गुस्सा जब आता है तो ऐसा लगता है जो आप कह रहे हो वो जायज़ है।
लेकिन ऐसा होता नहीं है अधिकांश।
कुछ बातें आपकी ठीक हो सकती हैं जरूर, परंतु क्रोध में कुछ भी कहना दलदल में उतरने के समान है।
धंसते चले जावो और बाहर निकलना मुश्किल।
एक सीमा तक तो सही पर इसमें सीमा कहां है और कब चुप रहने में ही भला है, इसका अंदाजा लगाना बेहद कठिन कार्य है।
जिसने ये समझ लिया और जिसे ये कला आती है वो ही जीता और वो ही सिकंदर।

और फिर शांति प्रकृति ध्यान का थोड़ा भी अभ्यास किया जावे तो ये सीधी सादी बात और समझ आती है।