एक मित्र बोले

एक मित्र बोले
ध्यान तो मैं कभी करूंगा ही नहीं
कुछ ऐसा लगा कि सांस तो मैं लूंगा ही नहीं
या खाना तो मैं खाऊंगा ही नहीं
या मैं सोऊंगा ही नहीं
या मैं पैदल तो चलूंगा ही नहीं
ध्यान तो आपके अंदर ही है
मानो या ना मानो
आपकी चेतना ही ध्यान का एक बहुत बड़ा हिस्सा है
Consciousness, awareness is a gift of God to mankind specially.
हां आप जागना ही नहीं चाहते
ये आपके ऊपर निर्भर है
कम से कम 90% लोग ऐसे ही जी रहे हैं
सांस ले रहे, खाना खा रहे, काम पर जा रहे
जैसे एक मशीन अपना कार्य संपन्न कर रही
कोई समस्या नहीं
मशीन खराब होती रहती है
क्रोध रोना धोना फिर हंसना किसी की बात मानना या ना मानना
ये सब मशीन की भांति

और यदि आप थोड़ी सी भी मेरी बात मान गए
तो जागने की उठ जाने की प्रतिक्रिया शुरू
फिर दुनिया का दूसरा पहलू नजर आने लगेगा
जो पहले कभी ना देखा ना सुना
दुनिया का रंग बदलने लगेगा
कुछ और रंग दिखने लगेंगे
कुछ और संगीत सुनाई पड़ने लगेगा
वो होगा जो इससे पहले कभी ना हुआ
लेकिन आपका मानना जरूरी
सारा दारोमदार आप पर है
मेरा इसमें कुछ भी नहीं
क्योंकि ये सदियों की बात है
पचास या सौ साल की नहीं।।
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