रोज आप क्या करते हैं

रोजाना आप क्या करते हैं?
यदि आप किसी का अभिवादन कर रहे हैं, या नमस्ते कर रहे हैं, तो समझ लीजिए आप स्वयं का अभिवादन कर रहे हैं।
स्वयं को भी नमस्ते कर रहे हैं।

यदि आप किसी को भी देख मुस्कुराते हैं तो आप अपने लिए मुस्कुरा रहे हैं।
अपनी तकदीर पर मुस्कुरा रहे हैं।
अगर आप किसी से लड़ रहे हैं या गाली दे रहे हैं, तो आप अपने से ही लड़ रहे हैं।
कहीं कोई किसी को मारता है, वो खुद को ही मार रहा है।
वो अपने आप को ही सजा दे रहा है।
ये प्रकृति का नियम है।
इसे कोई नहीं टाल सकता।
आप भी नहीं, मैं भी नहीं।

हमारा स्वभाव ही हमारे साथ सदैव रहता है।
मेरा स्वभाव क्या है, विदेश में किसी को क्या फर्क पड़ता है?
विदेश छोड़िए, पड़ौस में किसी को क्या फर्क पड़ता है?
फर्क पड़ता है तो सिर्फ मुझे और मेरे साथ रहने वालों को।
केवल अपने आप को सुधारने के प्रयास से जमीन आसमान का फर्क पड़ता है…….

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हरे राम हरे कृष्ण।।