एक छोटी सी कहानी-
यदि:
एक भिखारी था। सारा दिन अपने दुख और व्यथा की कहानियां सुनाता था लोगों को। उसे ज्ञान ना था कि लोगों को उसके दुख और गम से कोई लेना देना नहीं। उसको घाव भी थे जो वो लोगों को उघाड़ कर दिखाता रहता। वो सोचता उसका धंधा ऐसे ही तो चलता है। कुछ समय में लोग उससे बचने लगे। जिस रास्ते वो रहता, लोगों ने रास्ता ही बदल लिया।
लोगबाग किसे खोजते हैं आखिर? जो खुशदिल हो। जो खुश रहता है। नानक दुखिया सब संसार।।
जो तुम हंसोगे तो हंसेगी ये दुनिया
रोओगे तुम तो ना रोएगी दुनिया
तेरे आंसुओं को समझ ना सकेगी
तेरे आंसुओं पे हंसेगी ये दुनिया
हंसेगी ये दुनिया।
तो यदि आपको कोई घाव है भी, उसे ढक लो। किसी को ना दिखाओ। थोड़े वक़्त में लोग समझने लगें की आपको कोई दुख नहीं। कोई आपसे पूछे भी, उन्हें अपनी मनोहर कहानियां मत सुनावो। आपके पीठ पीछे वह आपका मजाक भी बना सकते हैं। उन्हें ये मौका ना देवें। जय सियाराम।।
आपको कोई दुःख है भी, अपने आप से बात करें। स्वयं के अंतर्मन से पूछें।
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