बहुत ही अच्छा ख्याल है कि यूनिवर्स या सृष्टि में सब कुछ ध्यान में है
उत्तम कहा आपने
99.99% सही है ये बात शायद
अब रही बात .01% ध्यान में क्यों नहीं है
तो ये कह सकते है कि ऊपर वाले ने जो बनाया वो सब ध्यान में है
परंतु इंसान ने जो बनाया या कर रहा है, वो ध्यान में नहीं है अधिकतर
आज का इंसान जो कर रहा है अधिकांश वो ध्यान के बाहर है
अब आप कहेंगे कि उदाहरण क्या क्या है ये तो बताओ
ये बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है बताना-
जैसे बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमने का शौक हमारा, और हम ही नहीं मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, जज, और हमारी सारी आने वाली पीढ़ियां इसकी गुलाम हो रही हैं
पर्यावरण का कितना नुकसान हो रहा है देख कर भी अनदेखा कर रहे हैं
बड़े बड़े होटल में खाना खाना है आज सबको
स्मार्टफोन की बीमारी हम सबको है और बढ़ेगी
पर्यावरण और ऋतु के साथ कोई आराम से बैठने को तैयार नहीं या यूं कहें आराम से बैठना किसी को आता नहीं अब
कोई आराम से बैठने को कहे तो अजीब सी बेचैनी हो जाती है मन में
और एक बात कहूं कि मेरी अगर आपने वेबसाइट देखी है तो इसमें कोई मंत्र या उच्चारण नहीं है
लेकिन ये ना समझें मैं आपको पूजा पाठ या इबादत करने से मना कर रहा हूं
ऐसा क्यों है हम विचार विमर्श कर रहे हैं और करते रहेंगे……