पार्टी का अंत तुरंत

पार्टी का अंत तुरंत,
रोज रोज थोड़े ना पार्टी होती है
फिर इतनी कमाई है कि नहीं आजकल
ये भी सोचना है ना
सारी बातों को मद्देनजर रखें
सोचें समझें और फैसला लें

और फिर पार्टी का मजा रहा कहां
आज यहां कल वहां
परसों नरसों जहां तहां
रब जाने कहां कहां
कई तो ऐसे बोलते हैं कि बोर हो गए
तो घर का प्रसाद छोड़ बोर ही होना है
तो क्या फायदा

पैसे भी गए, मुर्गे की जान भी गई
और खाने वाले को मजा भी नहीं आया
या खाया पिया कुछ खास नहीं
कप प्लेट टूट गए
उनके भी पैसे देने पड़े

तो पार्टी का मजा वो
जो कभी कभार हो
या फिर ना हो
बाकी आपकी मर्जी।