ज्यादा तर्क वितर्क में ना जाया करो
शांति प्रकृति ध्यान ये कहता है
यही सिखाता है
बेकार की बहस करना
अपने को ही सही साबित करने में लगे रहना
अनावश्यक बोलते रहना
ये सारे ही तर्क वितर्क एक दलदल के समान हैं
जितना जाओ इनमें फसते चले जाओ
इनसे बचने के उपाय या तरीके बहुत जरूरी हैं
अपने काम से काम रखा जाए
कोई ज्यादा बोले तो बोलने दिया जाए
सुना अनसुना करना भी एक कला है।