आसन भी इतना आसान
कि इसे कोई आसन ना कहें तो अच्छा
बस बैठना है प्रकृति के आस पास
या किसी पेड़ के आसपास बैठे हैं
तो भी बढ़िया
कोई पार्क हो तो और बेहतर
बस इतना करना है
कि बैठना है आराम से
और एक घंटे से ऊपर कभी नहीं
नीचे नहीं बैठना है
ऊपर बैंच पर, या कुर्सी या सोफा
कुछ भी चलेगा
ये आसन है, योगासन नहीं
प्रकृति या वृक्षों का आनंद लेना है
जो मन में विचार आते हैं
आने जाने दीजिए
बस ये एक घंटे बैठने की कसरत है
हफ्ते में 2 या 3 बार।