हम कुछ भी खाते हैं
और कितना कुछ आसानी से फेक देते हैं
हम ये भी नहीं सोचते कि खाने के एक एक कतरे को बनाने में कितनी मेहनत लगती है
कोई भी चीज बोई जाए और उगाई जाए
कितना उसमें समय, पानी, खाद, बिजली,
और लगन है हमारे किसानों की
हम क्या नहीं जानते इस बात को
बचे हुए खाने का एक एक दाना कीमती है
और कितनो को तो भरपेट खाना भी नसीब नहीं
एक वक़्त का।
दूसरा प्लास्टिक के बर्तन, या थैली,
या प्लास्टिक के कप, गिलास, दोने इत्यादी
इनका भी इस्तेमाल या प्रयोग कम से कम करें
इनसे भी पर्यावरण की अत्यधिक हानी है
क्योंकि प्लास्टिक आसानी से नष्ट नहीं होता है
हां पृथ्वी का नष्ट जरूर हो रहा है
हमेशा के लिए
इसलिए जहां तक हो सके स्टील, या एलुमिनियम के बर्तन, या कागज, पत्तल, या मिट्टी के कुल्हड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं
ये चीजें पृथ्वी और पर्यावरण के लिए फिर भी कहीं ज्यादा अनुकूल और लाभदायक हैं।