नुक्कड़ की दुकान

हम देश विदेश घूमने की सोचते हैं
कि वहां जाकर उधर घूमेंगे वहां जाएंगे
वो देखेंगे वो खाएंगे
लेकिन क्या हम अपने शहर के आसपास घूमते हैं
मैंने अकसर देखा है कि अगर हम आगरा जाएंगे
तो ताज महल जरूर देखेंगे
और अगर कोई देश विदेश से मेरे शहर दिल्ली आया है तो लाल किला, या जामा मस्जिद,
या अक्षरधाम मंदिर, या फिर क़ुतुब मीनार
जरूर जरूर देखता है
पर हम खुद अपने शहर में या फिर उसके आसपास नहीं घूमते फिरते,
और ये एक बहुत ही अजीब बात है
है कि नहीं

कहने का तात्पर्य ये है
कि अपने शहर, गांव, या कस्बे को भी जरूर देखिए और घूमिए
वरना ये देस विदेस ही बस जाने की सोचना या रट लगाना….

और हां वो अपनी नुक्कड़ की दुकान या ढाबा
वहां भी जरूर शाम गुजारिए और अपने देसी खानपान का आनन्द लेना ना भूलिए
कम से कम सौ बार,
खाइए और खिलाइए
ये नहीं किया तो कुछ भी नहीं किया…..