तीर्थ के लिए कहीँ नहीं जाना

तीर्थ के लिए मुझे तो कहीँ जाने की ज़रुरत ही नहीं पड़ती
बैठे बैठे ही दर्शन हो जाते हैं
जब आप कहते हैं कि
भगवान, महावीर, ईसा मसीह, बुद्ध, अल्लाह,
राम, कृष्ण, सब हर जगह हैं
तो फिर उनकी खोज में यहां वहां
दूर दूर भटकने क्यों जा रहे हैं

कोई संदेह है क्या जिसे दूर करने के लिए
यहां वहां दूर दूर जाना पड़ता है
सबने अपने अपने भगवान की फोटो
अपने घर और दफ्तर में लगा रखी हैं अनेको अनेक
किताबें और ग्रन्थ भी रखे हुए हैं अनगिनत
तो दर्शन तो जब मर्ज़ी तब कर सकते हैं

लेकिन नहीं, जाना हैं कहीँ दूर दर्शन के लिए
मुझे तो बड़ी ही अजीब बात लगती है ये
हां अगर घूमने और सैर सपाटे के बहाने जाना है
तो मुझे कोई आपत्ती नहीं है
लेकिन दर्शन के लिए जाना है
तो वो तो आपके घर में ही है…