पश्चिमी सभ्यता की आंख मूंद कर नकल ना करें
केक पर मोमबत्ती जलाएंगे तो वैक्स पिघलकर केक पर ही तो गिरेगा ना
और फिर उसे हमें ही तो खाना है
तो बिना मोमबत्ती जलाए और बुझाए केक काटिए
खाइए, खिलाइए, और मौज कीजिए।
दूसरा हमारे यहां शादी बारात में ढोल, नपीरी, बैंड, बाजे तो बढ़िया हैं
लेकिन नाच नाच के पैसे लुटाना और फेकना
ये बेवकूफी नहीं तो और क्या है
एक तरफ तो हम रुपए पैसे की पूजा करते हैं
और दूसरी तरफ हम नाच नाच कर सड़क पर फेकते हैं
क्या ये धन लक्ष्मी का निरादर नहीं
नाचिए खूब नाचिए
बहुत अच्छा लगता है निसंदेह
लेकिन जो रुपए पैसे देना चाहते हैं
बिलकुल आखिर में आदर सम्मान से दीजिए
जिसे भी देना चाहते हैं।