प्रकृति अथवा शांती ध्यान से ये भी तो फायदा होता है ना कि हम आलतू फ़ालतू बातों पर अपनी प्रक्रिया या टिप्पणी बंद कर देते हैं।
ये तो इसका सबसे बड़ा फायदा और लाभ है।
फिर हम देखते और समझ पाते हैं कि हम कई बातों पर अनावश्यक ही विचलित हो जाते थे,
या जरूरी ना भी हो तो भी बोलते रहते थे कुछ ना कुछ।
तो इस तरह थोड़े से ही इस ध्यान के अभ्यास से
ये एक बहुत ही अच्छी आदत पड़ जाती है हमें,
और दिन प्रतिदिन इसको अपने आप ही बल मिलने लगता है।
हमें चुप रहने में भी इतने आनन्द, संतोष और विश्राम की अनुभूति होने लगती है जो शायद इससे पहले कभी ना हुई हो।
अब इसमें तो कोई बुराई नहीं….