बुरा वक्त्त आता रहा है और आता रहेगा
आप रोक नहीं सकते
चाहे कुछ भी कर लो
बुरे वक्त्त को झेलना और सहन करना
आपके लिए क्या
हर एक के लिए जरूरी और अहम है
और जो इस बात को समझले
सुख को भी वही समझ पाए….
राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है
दुख तो अपना साथी है
सुख है एक छांव ढलती
आती है जाती है
दुख तो अपना साथी है….
उपरोक्त्त मधुर गाने को गाया
मोहम्मद रफी साहब ने फिल्म दोस्ती में
जो 1964 में बनी
निर्देशक सत्येन बोस
संगीतकार लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल
आपने भी ये गायन सुना होगा
यदि नहीं तो जरूर सुनिए
इस फिल्म के यादगार गीत
जाने वालों ज़रा मुड़ के देखो मुझे….
और वो गीत तो कमाल का है
कोई जब राह ना पाए
मेरे संग आए
के पग पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती मेरा प्यार….